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गुरुकुल का बोध वाक्य है चरित्र की ऊंचाई और अनुशासित व्यवहार

चरित्र की ऊंचाई एवं अनुशासित व्यवहार गुरुकुल का बोध वाक्य है। स्वामी श्रद्धानंद के कुलपुत्र देश-दुनिया मे गुरुकुलीय संस्कृति के ध्वजवाहक है। जिसके आधार पर इस संस्थान की बुनियाद स्थिर है।

गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 सोमदेव शतान्शु ने उत्तर क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालय चैम्पियनशिप मे तीसरे स्थान प्राप्त कर लौटी विजेता टीम के 20 फरवरी को आयोजित सम्मान समारोह के अवसर पर खिलाडियों को सम्बोधित करते हुये कही।

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला द्वारा सुंदरनगर, मंडी मे आयोजित इस चैम्पियशिप मे प्रतिभाग करते हुए गुरुकुल कांगड़ी की क्रिकेट टीम ने तीसरा स्थान की ट्रॉफी एवं व्यक्तिगत पुरस्कार प्राप्त करते हुए विश्वविद्यालय का मान बढ़ाया है।

सम्मान समारोह मे विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रो0 सुनील कुमार ने खिलाडियों के परिश्रम एवं उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। डीन, योग एवं शारीरिक शिक्षा संकाय प्रो0 सुरेन्द्र कुमार एवं चयन समिति के अध्यक्ष प्रो0 कर्मजीत भाटिया ने कहा कि उपलब्धि के लिए खिलाड़ी को तपकर कुंदन बनना पड़ता है। जिसमें गुरुकुल का शिक्षा प्रणाली एक सशक्त माध्यम है।

कार्यक्रम का संचालन प्रभारी, शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग डाॅ0 शिवकुमार चौहान द्वारा किया गया। टीम की प्रगति एवं आयोजक विश्वविद्यालय हिमाचल द्वारा टीम की फीडबैक मे गुरुकुल टीम के अनुशासन एवं व्यवहार की प्रशंसा की जानकारी दी।

इस अवसर पर डाॅ0 नितिन काम्बोज, डाॅ0 अजेन्द्र कुमार, डाॅ0 धर्मेन्द्र बालियान, प्रमोद कुमार, रजनीश भारद्वाज, डाॅ0 पंकज कौशिक, टीम कोच अश्वनी कुमार, कुलभूषण शर्मा, हेमन्त नेगी, कुलदीप, राजेन्द्र सिंह, दीवाकर, अर्जुन सिंह, राजकुमार, खेमसिंह थापा, रामअजोर आदि उपस्थित रहे। सम्मान समारोह मे खिलाडियों को स्मृति-चिन्ह तथा प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

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