सितम्बर की रिपोर्ट में जोशीमठ की जांच रिपोर्ट, बद्रीनाथ मास्टर प्लान और हाई कोर्ट की उत्तराखंड सरकार के द्वारा हर चीज का व्यवसायीकरण पर फोकस
देहरादून : देहरादून स्थित सोशल डेपलपमेंट फॉर कम्यूनिटी (एसडीसी) फाउंडेशन ने उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) की 12वीं रिपोर्ट जारी कर दी है। फाउंडेशन पिछले एक वर्ष से हर महीने उत्तराखंड में बड़ी आपदाओं और सड़क दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट जारी कर रहा है।
सितंबर 2023 पर आधारित 12वीं उदास रिपोर्ट जारी करते हुए एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में भी उदास रिपोर्ट जारी करने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने उत्तराखंड की राज्यव्यापी मीडिया का विशेष आभार व्यक्त किया। उत्तराखंड उदास रिपोर्ट हिंदी और अंग्रेजी समाचार पत्रों के साथ-साथ समाचार पोर्टलों के सम्मानजनक प्रकाशनों में मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है।
हाईकोर्ट का आदेश और जोशीमठ की जांच रिपोर्ट पर फोकस
सितंबर महीने की उदास रिपोर्ट में जोशीमठ में 8 एजेंसियों की जांच रिपोर्ट पर फोकस किया गया है। ये रिपोर्ट नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर सार्वजनिक की गई हैं।
इस वर्ष जनवरी में जोशीमठ में भूधंसाव होने के बाद 8 एजेंसियों को धंसाव के वैज्ञानिक कारणों की जांच करने के आदेश दिये गये थे। सभी रिपोर्ट राज्य सरकार के पास थी, लेकिन इन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया था।
इन सभी रिपोर्टों में मुख्य रूप से जोशीमठ में क्षमता से ज्यादा निर्माण कार्य किये जाने, मोरेन पर बसा होने के कारण मिट्टी ढीली होने और प्राकृतिक नालों की निकासी बंद हो जाने के साथ ही घरों और होटलों से निकलने वाले पानी को धंसाव के लिए जिम्मेदार माना गया है।
बद्रीनाथ मास्टर प्लान
उदास की रिपोर्ट में बदरीनाथ को स्मार्ट आध्यात्मिक केंद्र बनाये जाने के लिए की जा रही तोड़फोड़ और इसके कारण हो रही परेशानी को रेखांकित किया गया है। इस योजना के कार्यान्वयन की तरीके के विरोध में बदरीनाथ में विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
यहां रिवर फ्रंट परियोजना के लिए नदी का बहाव मोड़ दिये जाने के कारण एक मकान ढल गया था। बद्रीनाथ निवासी प्रियांक कर्नाटक के हवाले से इस बयान में अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया गया है।
इस योजना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि उन्हें उनके घरों से बाहर निकाला जा रहा है। लोगों ने बद्रीनाथ की पुनर्वास नीति को भी ना मंजूर कर दिया है और कहा है कि उनसे कोई सहमति नहीं ली गई है। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि आम लोगों की सहमति से ही काम किया जा रहा है।
हाई कोर्ट ने कहा, आपदाएं मानव निर्मित
उदास रिपोर्ट में आपदाओं को लेकर हाई कोर्ट की एक तल्ख़ टिप्पणी को भी प्रमुखता दी गई है। 6 सितम्बर को मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने दून वैली में पर्यटन विकास योजना को लेकर दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की खिंचाई की।
खंडपीठ ने कहा कि राज्य में हर चीज का व्यवसायीकरण हो रहा है और नियमों की अनदेखी की जा रही है। हिमालयी क्षेत्र में अनदेखी के कारण आपदाएं बढ़ रही हैं।
खंडपीठ ने कहा कि ये आपदाएं मानव निर्मित हैं। अदालत ने राज्य सरकार को एक व्यापक योजना तैयार करने का निर्देश देते हुए दून वैली अधिसूचना का पालन करते करने के लिए कहा।
केदारनाथ मंदिर के पीछे हिमस्खलन, पूर्णागिरि धाम में दरारों और उत्तराखंड में भूकंपों का जिक्र
केदारनाथ में सुमेरु पर्वत के पीछे एक बार फिर हिमस्खलन हुआ है। हाल के महीनों में बार-बार यहां हिमस्खलन दर्ज किया गया है। इसे उदास की रिपोर्ट में प्राथमिकता से दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार यह हिमस्खलन केदारनाथ धाम से तीन से चार किमी पीछे हुआ हालांकि इससे जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ।
रिपोर्ट में पूर्णागिरी धाम में दरारों की गहराई बढ़ने की घटना को भी दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार मेला क्षेत्र में आई दरारें जो तीन सप्ताह पहले लगभग एक फुट गहरी थे, अब इनकी गहराई बढ़ गई है। मंदिर के पुजारियों ने आशंका जताई है कि यदि इस क्षेत्र का ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो यहां भी जोशीमठ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।
उदास की रिपोर्ट में 11 सितंबर, 2023 में 12 घंटे के भीतर उत्तरकाशी में दो भूकंप आने की घटनाओं को भी दर्ज किया गया है। पहला भूकंप सुबह और दूसरा शाम को दर्ज किया गया। कम तीव्रता के इन भूकंपों से जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार इस साल 7 मई, 11 मई और 23 जुलाई को पिथौरागढ़ जिले, 8 मई को बागेश्वर जिले , 5 मई को चमोली और टिहरी जिलों में , 22 अप्रैल को पौडी जिले, 14 अप्रैल को रुद्रप्रयाग जिले और 5 और 6 अप्रैल को उत्तरकाशी जिले में भूकंप आये थे
उत्तराखंड और आपदा प्रबंधन
अनूप नौटियाल ने कहा की उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन तंत्र और क्लाइमेट एक्शन की कमज़ोर कड़ियों को मजबूत करने की सख्त ज़रूरत है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड उदास मंथली रिपोर्ट उत्तराखंड के राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं, अधिकारियों, शोधार्थियों, सिविल सोसायटी और मीडिया के लोगों के लिए सहायक होगी।
साथ ही आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।