छात्र खुद से प्रतिस्पर्धा करें, दूसरों से नहीं, ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया छात्रों को तनाव मुक्त का मंत्र
नई दिल्ली:(जीशान मलिक) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम ‘परीक्षा पे चर्चा’ के माध्यम से छात्रों, शिक्षको और अभिभावकों को संबोधित किया|
इस मौके पर छात्रों से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें किसी भी प्रेशर को झेलने के लिए खुद को सामर्थ्यवान बनाना चाहिए। दबाव को हमें अपने मन की स्थिति से जीतना जरूरी है। किसी भी प्रकार की बात हो, हमें परिवार में भी चर्चा करनी चाहिए। बच्चों के तनाव को कम करने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। इसलिए शिक्षक और छात्रों के बीच हमेशा सकारात्मक रिश्ता रहना चाहिए। शिक्षक का काम सिर्फ जॉब करना नहीं, बल्कि जिंदगी को संवारना है, जिंदगी को सामर्थ्य देना है, यही परिवर्तन लाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा के तनाव को विद्यार्थियों के साथ-साथ पूरे परिवार और टीचर को मिलकर एड्रेस करना चाहिए। अगर जीवन में चुनौती और स्पर्धा ना हो, तो जीवन प्रेरणाहीन और चेतनाहीन बन जाएगा।
इसलिए Competition तो होना ही चाहिए, लेकिन Healthy Competition होना चाहिए। वहीं परीक्षा के तनाव से मुक्त होने के गुर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे मोबाइल को कार्य करने के लिए चार्जिंग की आवश्यकता होती है, उसी तरह बॉडी को भी रिचार्ज रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि स्वस्थ मन के लिए शरीर को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए प्रॉपर नींद लेना भी बहुत आवश्यक है। हमें आदत डालनी चाहिए कि हम निर्णायक बनें। कंफ्यूजन में नहीं रहना चाहिए। अगर कोई कंफ्यूजन है तो हमें उस पर बात करनी चाहिए और उसका समाधान करके आगे बढ़ना चाहिए। मेरा सभी अभिभावकों से आग्रह है कि अपने बच्चों के बीच कभी भी प्रतिस्पर्धा के बीज न बोएं, बल्कि एक-दूसरे के लिए प्रेरणा बनें।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मोबाइल ही नहीं, बल्कि किसी भी चीज की अति, किसी का भला नहीं करती। हर चीज के लिए एक मानदंड होना चाहिए, उसका एक आधार होता है।
किसी भी चीज का कितना उपयोग करना चाहिए, इसका विवेक होना बहुत जरूरी है। टेक्नोलॉजी से हमें दूर नहीं भागना चाहिए, बल्कि उसका सकारात्मक उपयोग करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंदुस्तान की हर सरकार को गरीबी के संकट से जूझना पड़ा है। लेकिन मैं डरकर बैठ नहीं गया, मैंने उसका रास्ता खोजा। मैंने सोचा कि गरीबी तो तब हटेगी जब मेरा हर एक गरीब तय करेगा कि अब मुझे गरीबी को परास्त करना है और मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं उसके सपने को सामर्थ्यवान बनाऊं। चाहे कोरोना काल को परास्त करने की बात हो, खेल की दुनिया में भारत का परचम लहराने की बात हो, ये सब सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास का नतीजा है। मेरे यहां निराशा के सारे दरवाजे बंद हैं। हमारी सोच देश को सामर्थ्यवान बनाने की है और इसके लिए सामूहिक सोच होना बहुत जरूरी है। आगे आप प्रधानमंत्री के ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम का पूरा वीडियो देख सकते है.
*पीएम मोदी ने कहा,* कोरानाकाल में मैंने देशवासियों से ताली थाली बजाने को कहा| हालांकि, यह कोरोना को खत्म नहीं करता लेकिन एक सामूहिक शक्ति को जन्म देता है. पहले खेल के मैदान में हमारे लोग जाते थे| कभी कोई जीतकर आता है तो कई जीतकर नहीं आता है. पहले कोई नहीं पूछता था, लेकिन मैंने कहा कि मैं इसके ढोल पीटूंगा|जिसके पास जितना सामर्थ्य है, उसका सही उपयोग करना चाहिए|अच्छी सरकार चलाने के लिए इन समस्याओं के समाधान के लिए भी आपको नीचे से ऊपर की तरफ सही जानकारी और गाइडेंस आना चाहिए|
पीएम मोदी ने आगे कहा, अगर यह सही रहा तो आप चीजों को संभाल सकते हैं. कोरोना इसका बहुत बड़ा उदाहरण है. मैंने छोटी-सी खिड़की भी खुली नहीं रखी है कि निराशा वहां से आ जाए. पीएम ने बच्चों से कहा कि कितनी भी मुश्किल आ जाए, आपको कभी भी घबराना नहीं है. उसका सामना करना है और जीतकर निकलना है.