दिल्ली

जानिए कब है शब-ए-मेराज, क्यों मनाया जाता है यह दिन और इस्लाम में क्या है इसका महत्व

 

नई दिल्ली:(जीशान मलिक) Shab-e-Meraj 2024 kab hai: मुसलमानों के त्योहारों की फेहरिस्त में एक नाम शब-ए-मेराज का भी जोड़ लीजिए। रजब महीने की 27वी तारीख को मेराज की रात आती है। हाल ही में कुंडे का त्योहार 22 रजब को मनाया गया था। अब 7 फरवरी 2024 की शाम से यानी 8 फरवरी को शब-ए-मेराज मनाया जाएगा। शब-ए-मेराज 2024 को हज़रत मुहम्मद स. अ. ने मस्जिदे अक़्सा से मेराज़ का सफर किया था इसलिए 27 रजब को शबे मेराज की रात के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन सभी मुसलमान इबादत करते हैं और 26 और 27 रजब को रोज़ा भी रखते हैं। साथ ही मेराज की रात का नमाज से क्या कनेक्शन है यह भी हम आपको बताने वाले हैं।

07 फरवरी, 2024 की शाम को शुरू होगी। दुनिया भर के मुसलमानों के लिए यह रात ‘द नाइट जर्नी’ के रूप में भी पवित्र स्थान रखती है। इस रात को पैगंबर मोहम्मद साहब ने जमीन से आसमान का सफर किया था। इसीलिए अरबी दुनिया में इसे लैलात अल मिराज भी कहा जाता है। पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश और दुनिया के कुछ हिस्सों में 27 रज्जब यानी 8 फरवरी 2024 की रात से ही मेराज की रात को मनाया जाएगा।

नमाज से क्या है कनेक्शन

Shab-e-Meraj यानी लैलत अल मिराज जिसे इसरा अल मिराज भी कहा जाता है। एक ऐसी ऐतिहासिक रात जिसका इस्लामी इतिहास में अहम किरदार है। जब आखिरी नबी हजरत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने जमीन से सीधे सातवे आसमान पर मुलाकात के लिए बुलाया था। इस सफर को 2 भागों में विभाजित किया गया है, जिन्हें इसरा और मेराज कहा जाता हैं। यानी मक्का से यरुशलम मस्जिदे अक्सा का सफर इसरा यानी जमीनी सफर है। जबकि मस्जिदे अक्सा से सातवे आसमान तक का सफर मेराज कहलाता है। सातवे आसमान पर अल्लाह से मुलाकात के बाद पैगंबरे मोहम्मद इस्लाम को नमाज का तोहफा दिया गया था। इसीलिए मुसलमान इस रात को ज्यादा से ज्यादा नवाफिल नमाजे पढ़कर अल्लाह से गुनाहों की माफी तलब करते हैं।

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