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स्वामी श्रद्धानन्दजयन्ती के उपलक्ष्य कार्यक्रम का आयोजन

 

हरिद्वार:(जीशान मलिक) गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के संस्थापक अमर शहीद स्वामी श्रद्धानन्द जी की जयन्ती आज विश्वविद्यालय में धूमधाम से मनायी गयी ।

इस अवसर पर एक विशाल शोभायात्रा निकाली गयी जिसमे विश्वविद्यालय के अध्यापकों, कर्मचारियों, अधिकारियों, छात्र-छात्राओं तथा डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल, ज्वालापुर इण्टर काॅलेज, हरेराम आर्य इण्टर कालेज, गुरुकुल सांइस इण्टर काॅलेज, गुरुकुल विद्यालय, गुरुकुल कांगड़ी फार्मेसी सहित नगर की अनेक संस्थाओं ने भाग लिया ।

शोभायात्रा के उपरान्त विश्वविद्यालय के विशाल सभागार में सभा हुई जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार रखे ।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 सोमदेव शतांशु ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द, जिनका सन्यासग्रहण से पूर्व नाम मुंशीराम विज था, का जन्म 22 फरवरी, 1856 को पंजाब प्रान्त के जालंधर जिले में तलवान गांव में हुआ था ।

उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना सन् 1896 में गुजरांवाला में गुरुकुलीय षिक्षा पद्धति के प्रसार तथा वैदिक संस्कृति, सभ्यता को पुनस्र्थापित करने के उद्देष्य से आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के विनिश्चय को क्रियान्वित करने के क्रम में सांकेतिक रूप से की थी ।

इसे शुरु करने के लिए स्वामी जी ने सभा के सामने सिर्फ 8000/- रुपये का सवाल रखा था किन्तु सभा ये राशि उपलब्ध नहीं करा पायी तो स्वामी श्रद्धानन्द ने पैसा इकट्ठा करने के लिए घर छोड़ दिया और दुनियाभर में घूम-घूम कर रु. 40,000/- इकट्ठा कर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की शुरुवात की जिसमें वेद दर्शन और अन्य शास्त्रों के साथ-2 आधुनिक विज्ञान के विषयों का अध्ययन-अध्यापन शुरु किया ।

स्वामी जी ने अपना घर-बार सब कुछ बेच कर विश्वविद्यालय में लगा दिया और अपने दोनों पुत्रों को भी विश्वविद्यालय में भर्ती कर दिया । स्वामी जी ने दान में जो धन और भूमि एकत्रित की, वह सब आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के नाम होती रही ।

दिनांक 30 मार्च 1901 को बिजनौर के मुंशी अमन सिंह ने वेद-शास्त्रों आदि की शिक्षा के उद्देश्य से गुरुकुल के लिए हरिद्वार के पास कांगड़ी गांव की अपनी 1,196 बीघा जमीन आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के नाम दान कर दी ।

दिनांक 04 मार्च सन् 1902 में गुरुकुल को गुजरांवाला से इसी भूमि पर स्थानान्तरित कर विश्वविद्यालय की विधिवत् शुरुवात कर दी गयी ।

स्वामी जी ने विश्वविद्यालय की स्थापना अथवा इसके संचालन के लिए कभी ब्रिटिश सरकार की मदद स्वीकार नहीं की ।

प्रो0 प्रभात कुमार ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि दिनांक 19 जून 1962 को भारत सरकार ने यहां के स्नातकों एवं आचार्यों के उच्च कोटि के कार्य को देखते हुए इसे डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया और इसे शत प्रतिशत अनुदान भारत सरकार से मिलने लगा ।

इसकी सर्वोच्च प्राधिकारी आर्य विद्या सभा को विश्वविद्यालयों के तत्कालीन पैटर्न के मुताबिक सीनेट कहा जाने लगा । तब से आज तक यह विश्वविद्यालय भारत सरकार से पूरी तरह अनुदानित और अनुरक्षित चल रहा है ।

इस बीच सभा के लोग और उनके गुटों में झगड़ों ने सन् 1977 में झगडा, मारपीट और कब्जागिरी से ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि विष्वविद्यालय लगभग बन्द हो गया । दो-तीन साल की उठापटक के बाद कर्मचारियों के प्रयास से यह किसी तरह फिर से चालू हुआ लेकिन सभाओं के अलग – 2 गुट अलग – 2 सभाओं (आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब, आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा और दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा) के नाम से विष्वविद्यालय की सीनेट में घुस गये और अपनी स्वार्थ सिद्धि करते हुए विष्वविद्यालय के बड़े भू-भाग को या तो बेच दिया या उस पर भूमाफियाओं का कब्जा करा दिया ।

शंकर आश्रम ज्वालापुर के पास की भूमि, डाॅ0 हरिराम आर्य इण्टर काॅलेज, हरिद्वार की भूमि, डाॅ0 हरिराम आर्य इण्टर काॅलेज, हरिद्वार के पीछे की भूमि, डाॅ0 हरिराम आर्य इण्टर काॅलेज, हरिद्वार के सामने की भूमि, रोटरी रंगशाला हरिद्वार वाली भूमि, गुरुकुल कांगड़ी फार्मेसी के सामने वाली भूमि, गुरुकुल कांगड़ी फार्मेसी के पीछे वाली भूमि, गुरुकुल कांगड़ी में बड़े परिवार की पीछे, आंवला बाग की भूमि, भट्ठे की भूमि, गुरुकुल बडे़ परिवार के पीछे की भूमि, लोकसेवा आयोग के बराबर की 144 बीघा भूमि, मेरठ स्थित भवन, जगजीतपुर, ज्वालापुर, अहमदपुर कडच्छ, शेखपुरा, पंजाब सिंध क्षेत्र कनखल तथा विष्वविद्यालय के ईर्द गिर्द की बहुत सारी जमीनें आर्य प्रतिनिधि सभाओं के लोगों ने खुर्द-बुर्द कर दी जिससे विष्वविद्यालय के मुख्य परिसर के चारों ओर इन्हीं जमीनों पर दर्जनों काॅलोनियां बनती गयी और विष्वविद्यालय सिकुड़ता गया ।

यही नहीं, मुंषी अमन सिंह द्वारा दानपत्र में विशेष रूप से उद्धृत कर गुरुकुल के वास्ते दी गयी 1196 बीघा जमीन, जिसे आज पुण्य भूमि के नाम से जाना जाता है, के ज्यादातर हिस्सों में गुरुकुल के बचे कुछेक खंडहर, जो कभी विष्वविद्यालय का मुख्य भवन था, के आसपास माफियाओं के रिसोर्ट्स बने हुए हैं और जो थोड़ी बहुत जमीन बची है उस पर खेती की पूरी आमदनी पंजाब आर्य प्रतिनिधि सभा ले जाती है ।

विश्वविद्यालय को किसी आर्य प्रतिनिधि सभा से किसी प्रकार का आर्थिक सहयोग या अंशदान नहीं मिलता है जबकि यह विश्वविद्यालय पिछले 60 वर्ष से पूरी तरह से केन्द्र सरकार द्वारा अनुदानित और अनुरक्षित चला आ रहा है । प्रो0 सुचित्रा मलिक ने विडम्बना व्यक्त करते हुए कहा कि किसी आर्य प्रतिनिधि सभा ने कभी न तो विष्वविद्यालय में एक रुपये का भी अंषदान किया और न ही एक बिस्वा जमीन भी विष्वविद्यालय के नाम हस्तान्तरित की किन्तु कागजों में जमीन सभा के नाम होने के कारण वे विष्वविद्यालय की स्पोसंरिगं बाॅडी कहलाते हुए मालिक बने हुए हैं और इसे अपनी निजी सम्पत्ति मानते हैं ।

डाॅ0 बृजेन्द्र शास्त्री ने कहा कि सन् 2010 में जब सरकार द्वारा कुछ अन्य निजी विश्वविद्यालयों सहित इस विश्वविद्यालय को भी बंद करने का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दे दिया गया तो किसी सभा का कोई आदमी इसे बचाने के लिए कर्मचारियों द्वारा किये जाने वाले संघर्ष में साथ देने नहीं आया अपितु एक गुट इसी प्रयास में लग गया कि विश्वविद्यालय बन्द होने का यह कार्य जल्दी से जल्दी हो जाये और इसकी जगह अय्याशी के अनुकूल बडे़ रेसोटर््स बना दिये जायें ।

डाॅ0 डी.एस. मलिक ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि अभी हाल ही में सरकार द्वारा गजट नोटिफिकेशन जारी करके देश के समस्त डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए यू.जी.सी. रेगुलेशन 2023 लागू कर दिया है । इसको स्वीकार करने के लिए सभी सरकारी अथवा निजी डीम्ड विश्वविद्यालय बाध्य हैं ।

इसके अनुसार अब 50 प्रतिशत से अधिक सरकारी अनुदान लेने वाले डीम्ड विश्वविद्यालयों के चांसलर और वाइस-चांसलर की नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा की जायेगी । आर्य प्रतिनिधि सभाएं इन रेगूलेशन्स का विरोध कर रही हैं चंूकि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को केन्द्र सरकार से शत प्रतिशत अनुदान मिलता है और इसलिए अब इस विश्वविद्यालय के चांसलर और वाइस-चांसलर की नियुक्ति केन्द्र सरकार करेगी और इन नियुक्तियों में सभा का हस्तक्षेप बन्द हो जायेगा ।

प्रो0 अम्बुज शर्मा ने कहा कि 10 दिन पूर्व ही केन्द्र सरकार ने डाॅ0 सत्यपाल सिंह को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय का चांसलर नियुक्त कर दिया है । इस कदम से आर्य प्रतिनिधि सभाओं में खलबली तथा बेचैनी हो गयी है और तीनों सभाओं ने मिलकर केन्द्र सरकार और यू.जी.सी. के खिलाफ दो दिन पहले दिल्ली में प्रदर्शन किया ।

जबकि विश्वविद्यालय के अध्यापक, कर्मचारी, छात्र तथा जनसामान्य सरकार द्वारा यू.जी.सी. रेगुलेशन 2023 लागू किये जाने तथा डाॅ0 सत्यपाल सिंह को चांसलर बनाये जाने पर खुश हैं ।

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में आज स्वामी श्रद्धानन्द जयन्ती का उपर्युक्त आयोजन गुरुकुल कांगड़ी विश्विद्यालय को अपनी सम्पत्ति मानकर खुर्द-बुर्द करने की कोशिश कर रही आर्य प्रतिनिधि सभाओं के विरोध में विश्वविद्यालय के छात्रों, अध्यापकों तथा कर्मचारियों के शक्ति प्रदर्शन के रूप मेें उभर कर सामने आया ।

यह प्रदर्शन दो दिन पूर्व दिल्ली में आर्य प्रतिनिधि सभाओं द्वारा सरकार तथा यू.जी.सी. के विरुद्ध किये गये प्रदर्शन के जवाब के रूप में भी देखा जा सकता है जिसमे आर्य प्रतिनिधि सभाओं द्वारा बेची गयी भू-खण्डों को वापस करने तथा आर्य प्रतिनिधि सभाओं द्वारा हड़प कर ली गयी विश्वविद्यालय की सम्पत्ति से उत्पन्न आय और मुआवजे की राशि को वापस करने की मांग करने वाले नारे लग रहे थे ।

प्रो0 ब्रह्मदेव ने सभी का आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम में प्रो0 वी.के. सिंह, प्रो0 पंकज मदान, प्रो0 सत्यदेव निगमालंकार, रजनीश भारद्वाज, प्रो. जे.एस. मलिक, हेमन्त आत्रेय आदि ने विचार व्यक्त किये । सभा का संचालन डाॅ0 वेदव्रत, डाॅ0 हिमांशु पण्डित तथा डा0 योगेश शास्त्री ने किया । इस अवसर पर प्रो0 नमिता जोशी, डा0 उधम सिंह, प्रो0 मुदिता अग्निहोत्री, प्रो0 सुरेखाराणा, डा0 दीपा गुप्ता, डा0 मनीला, डा0 पूनम पैन्यूली, डा0 उधम सिंह, डा0 कल्पना सागर, प्रो0 बिन्दु अरोड़ा, डा0 मीरा भारद्वाज, डा0 ऋचा सिंह, डा0अजीत सिंह तोमर, डॉ० धर्मेन्द्र वालियान, डा0 विपिन वालियान, डा0 वरिन्द्र वर्क, अमित धीमान, रमेश चन्द्र, नरेन्द्र मलिक, दीपक वर्मा, उमाशंकर, अनिरूद्ध यादव, नीरज बिरला, नीरज भट्ट, राजीव कुमार, विद्यालय विभाग के शिक्षक व ब्रह्मचारी सहित विभिन्न शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।

प्रमुख बिन्दु आर्य प्रतिनिधि सभाओं के खिलाफ गुरुकुल में बना माहौल, सभाओं के दुष्प्रचार और षड्यंत्र से लड़ने के लिए कार्मिक हुए लामबन्द ।

यूजीसी द्वारा देश के भर के डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए नया रेगुलेशन अधिसूचित किया गया है। इसमें यह व्यवस्था दी गई है कि शत-प्रतिशत अनुदानित डीम्ड विश्वविद्यालयों में कुलाधिपति एवं कुलपति की नियुक्त केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।

गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय का बोर्ड आफ मैनेजमेंट डीम्ड यूनिवर्सिटी रेगुलेशन-2023 को स्वीकार कर चुका है जिस पर यूजीसी ने भी अपनी मुहर लगा दी है। शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा डॉ. सत्यपाल सिंह को कुलाधिपति नियुक्त किया गया है। भारत सरकार द्वारा नियुक्त ये पहले कुलाधिपति हैं। डाॅ0 सत्यपाल सिंह की नियुक्ति के बाद विश्वविद्यालय में हर्ष का माहौल है।

यू.जी.सी. रेगुलेशन 2023 के लागू होने के बाद से आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली, हरियाणा और पंजाब का विश्वविद्यालय में कुलाधिपति व कुलपति की नियुक्ति करने का एकाधिकार समाप्त हो गया है जिसके बाद से वे लगातार विश्वविद्यालय के हित और भविष्य को दरकिनार कर अपने स्वार्थों की पूर्ति के चलते अनुचित विरोध प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं जिससे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है।

आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के पदाधिकारियों के इस कृत्य से विश्वविद्यालय के शिक्षकों, शिक्षकेतर कर्मचारियों और छात्रों के मध्य व्यापक रोष व्याप्त है।

नये यू.जी.सी. रेगुलेशन 2023 लागू होने के बाद अब कुलाधिपति एवं कुलपति की नियुक्ति में मानक प्रक्रिया का अनुपालन होगा और पारदर्शिता आएगी, अनुसंधान और प्रसार गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा ।

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