
नई दिल्ली: भाजपा राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद डॉ. नरेश बंसल ने संसद में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के संवर्धन का महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया। उन्होंने इसे जनहित और देशहित से जुड़ा विषय बताते हुए सरकार से इन पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को विदेशी चिकित्सा प्रणाली के समान दर्जा देने की मांग की।
बजट में भारी अंतर की ओर ध्यान आकर्षित
सदन को संबोधित करते हुए डॉ. बंसल ने कहा कि भारत की स्वदेशी स्वास्थ्य पद्धतियां केवल इलाज नहीं, बल्कि रोगों की रोकथाम में भी प्रभावशाली हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय का बजट ₹1,00,000 करोड़ है, जबकि आयुष मंत्रालय को मात्र ₹4,000 करोड़ का बजट मिलता है। यह भारी अंतर इन पद्धतियों के विकास में बाधा बन रहा है।
सात सूत्रीय मांग
डॉ. बंसल ने सरकार से सात महत्वपूर्ण कदम उठाने का आग्रह किया:
- आयुष्मान भारत योजना में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा को शामिल करना
- ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 और ड्रग एंड मैजिक एक्ट 1954 को निरस्त कर यूनिफॉर्म हेल्थकेयर कोड लागू करना
- आयुर्वेदिक उद्योग, स्टार्टअप्स और रिसर्च को विशेष सरकारी प्रोत्साहन
- आयुष पद्धतियों का बजट कम से कम पांच गुना बढ़ाना
- सभी मेडिकल कोर्स का पहला वर्ष समान बनाना
- आयुष डॉक्टरों को एक्स-रे, एमआरआई, सर्जरी व डिलीवरी की अनुमति देना
- कक्षा 10 तक आयुर्वेद व योग को अनिवार्य विषय बनाना
स्वदेशी विरासत को उचित स्थान देने की अपील
डॉ. बंसल ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हृदय के निकट ये पद्धतियां हैं, लेकिन इन्हें अभी भी वह स्थान नहीं मिला है जिसकी ये हकदार हैं। उन्होंने निवेदन किया कि भारत की महान स्वदेशी चिकित्सा विरासत को वास्तविक रूप से वह स्थान मिलना चाहिए जो उसका अधिकार है।



