उत्तराखंड

विश्व वेटलैंड दिवस पर झिलमिल झील का दौरा

 

हरिद्वार:(जीशान मलिक) अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई चार ने विश्व वेटलैंड दिवस मनाया। संकायाध्यक्ष प्रोफेसर विपुल शर्मा ने राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवको को शुभकामनाये देते हुए एनएसएस इकाई को रसियाबड़ स्थित झिलमिल झील के लिए रवाना किया। स्वयंसेवको को सम्बोधित करते हुए उनको बताया वेटलैंड यानी आर्द्रभूमि धरती पर महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र बनाते हैं।

 

इसमें दलदल, समुद्री घास, तालाब या नमभूमि वाली सारी जगहें आती हैं. लेकिन शहरी विकास, कृषि या निर्माण के लिये बड़ी आसानी से इन वेटलैंड्स को खत्म किया जा रहा है. जिसको संरक्षित करने की आवश्यकता है। प्रो० मयंक अग्रवाल ने बताया की विश्व वेटलैंड दिवस को चिह्नित करने के लिए 2 फरवरी को इंजीनियरिंग सभागार में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन भी किया।

 

रसियाबड़ रेंज के वन चेत्राधिकारी हरीश चंद्र गैरोला ने बताया की झिलमिल झील कटोरीनुमा दलदली क्षेत्र है जो उत्तराखंड में हरिद्वार वन प्रभाग के चिड़ियापुर क्षेत्र में गंगा नदी के बायें तट पर स्थित है। यह झील लगभग 3783.5 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है।

 

उन्होंने मानव जाति की भलाई में आर्द्रभूमि की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उप राजिक हरीश चंद्र जुयाल ने बताया कि अगस्त 2005 में राज्य सरकार ने पारिस्थितिकी, प्राणी जगत, वनस्पति एवं भू-विविधता के आधार पर इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित किया है।वन दरोगा गजपाल सिंह भंडारी ने बताया कि जैव-विविधता से भरपूर इस क्षेत्र में हिरणों की पांच प्रजातियां, हाथी, नीलगाय, तेंदुआ, व बाघ इत्यादि जानवर बहुलता से पाए जाते हैं। वन दरोगा पवन कुमार एवं अशोक कुमार ने स्वयंसेवकों को आर्द्रभूमि की स्थलीय जानकारी दी.

 

एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ0 मयंक पोखरियाल ने बताया की विश्व वेटलैंड दिवस 2024 का विषय वेटलैंड्स एंड ह्यूमन वेलबीइंग है। इसका लक्ष्य यह उजागर करना है कि मानव कल्याण के सभी पहलू-शारीरिक, मानसिक और पर्यावरणीय-दुनिया की वेटलैंड के स्वास्थ्य से कैसे जुड़े हुए हैं। इसके महत्त्ता को समझाने के लिए एनएसएस स्वयंसेवको का एक दल झिलमिल झील भ्रमण के लिए ले जाया गया जहाँ उनको झीलों के बारे में जानकारी दी गयी ।

 

हॉस्टल वार्डन डॉ० धर्मेंद्र बालियान ने युवा पीढ़ी से सौंदर्य और कल्याण पहलुओं के लिए वेटलैंड संरक्षण के लिए काम करने का आह्वान किया। भ्रमण कार्यक्रम में डॉ० सुयश भरद्वाज, वार्डन सुमित बंसल, वन कर्मचारी प्रदीप, पूरन रावत आदि मौज़ूद रहे। कार्यक्रम के सफल आयोजन पर कुलपति प्रो० सोमदेव शतांशु एवं कुलसचिव प्रो० सुनील कुमार ने संकाय एवं एनएसएस इकाई को बधाई दी

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