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“रोज़गार संसद” में गूंजा नारा “नफरत नहीं रोजगार चाहिए, जीने का अधिकार चाहिए”

संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति के मंच पर जुटे 20 से ज्यादा संघर्षरत संगठन। राष्ट्रीय रोजगार नीति की उठी माँग।

Slogan echoed in “Rozgar Sansad” “Don’t hate, need employment, right to live”

देहरादून @ Shagufta: 16 अगस्त से दिल्ली में आंदोलन, हजारों लोगो को ले जाने की बनी रणनीति।

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आज देहरादून में संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति के बैनर तले आयोजित “रोजगार संसद” में लगभग 20 संगठन और 100 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। इस रोजगार संसद में प्रदेश भर के कई संघर्षरत संगठनों के प्रतिनिधि एक साथ एक मंच पर शामिल हुए।

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SRAS आयोजन समिति के केंद्रीय प्रभारी डॉ. मनोज गुप्ता ने बताया कि देश में बेरोजगारी की व्यापक समस्या का समाधान सिर्फ राष्ट्रीय रोजगार नीति है। देहरादून में आयोजित इस रोजगार संसद में उत्तराखंड के 20 से ज्यादा संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए जिन्होंने राष्ट्रीय रोजगार नीति पर अपनी बात रखी एवं 16 अगस्त से दिल्ली में होने वाले आंदोलन को लेकर समर्थन व्यक्त किया।

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इस रोजगार संसद में छात्र, युवा, शिक्षक, महिला, पत्रकार, दलित, आदिवासी, व्यापारिक, ट्रेड यूनियन, किसान यूनियन, सामाजिक संस्थाएं, सामाजिक संगठन, गैर सरकारी संस्थाओं, मेडिकल एसोसिएशन टीचर्स एसोसिएशन जैसे 20 से ज्यादा प्रतिनिधियों एवं 100 से ज्यादा विभिन्न संगठनों से जुड़े हुए लोंगो ने रोजगार संसद में बेरोजगारी की ज्वलंत समस्या पर अपनी बात रखी और अपनी हिस्सेदारी दी।

सभी संगठनों ने राष्ट्रीय रोजगार नीति के ड्राफ्ट पर सहमति जताते हुए कुछ सुझाव दिए। साथ ही 16 अगस्त से दिल्ली में आंदोलन करने और इसमें उत्तराखंड से हजारों प्रतिनिधियों की भागीदारी का एलान किया गया। इसके लिए आगामी दिनों में जिलों में सम्मेलन किए जायेंगे और प्रदेश के कॉलेज यूनिवर्सिटी में कार्यक्रम होंगे।

इस कार्यक्रम में स्टेट कमेटी के सदस्य जगदीश कोहली, मुकेश कोहली, भास्कर द्विवेदी, सुनील भट्ट, अजय बड़सीवाल, नितिन जोशी आदि उपस्थित रहे।

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