उत्तराखंड

मुंशी प्रेम चंद पर प्रगतिशील विचार मंच ने गोष्ठी व निम्बन्ध प्रतियोगिता का आयोजन

Progressive Thinker Forum organized seminar and essay competition on Munshi Prem Chand

रिपोर्ट,,,, सतीश कुमार मसूरी ।प्रगतिशील विचार मंच उत्तराखंड मसूरी के तत्वाधान में आरएन भार्गव इंटर कालेज के सभागार में महान साहित्यकार मुंशी प्रेम चंद की 142वीं जयंती मनाई गई व उनके साहित्य संसार पर चर्चा की गई । आरएन भार्गव इंटर कालेज में महान साहित्यकार मुंशी प्रेम चंद की जयंती मनाई गई। जिसका शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया।

इस मौके पर वक्ताओं ने मुंशी प्रेम चंद के साहित्य पर प्रकाश डाला व कहा कि उन्होंने साहित्य को समाज से जोडकर लिखा। उनकी कहानियों में आम जन जीवन की झलक मिलती है व कहानियों में जो संदेश रहता है वह दिल को छूने वाला होता है। जिससे प्रेरणा मिलती है। उनके उपन्यास में समाज का दर्शन होता है। वक्ताओं ने कहा कि मसूरी में साहित्यिक गतिविधियां लगभग ठप्प सी हो गई हैं जिसको लेकर यह गोष्ठी आयोजित की गई।

साहित्य में सच होता है और अगर जीवन में साहित्य नहीं है तो जीवन का कोई अर्थ नहीं रह जाता। इस मौके पर गोष्ठी के संचालक सतीश कुमार ने कहा कि मुंशी प्रेम चंद की जयंती 31जुलाई को होती है लेकिन स्कूल का अवकाश होने के कारण यह दो अगस्त को आयोजित की गई। उन्होंने कहाकि इस गोष्ठी का मुख्य उददेश्य मसूरी की साहित्यिक गतिविधियों को जगाना व युवा पीढ़ी को मुशी प्रेम चंद के बारे में बताने के साथ ही छात्रों को साहित्य के क्षेत्र में आगे बढाना है। उन्होंने कहाकि आज का युवा गलत दिशा में जा रहा है उसमें भटकाव है व मोबाइल या नशे की ओर झुंकाव है ।

गोष्ठी का आयोजन किया गया ताकि युवा पीढ़ी का झुकाव साहित्य की ओर हो सके।इस अवसर पर मंच के सयोंजक मंडल की सदस्य व समाज सेवी रुबीना अंजुम ने कहा कि मुंशी प्रेम चंद ने अपने साहित्य में समाज मे फैल रही कुरीतियों ,साम्प्रदायिकता ,रूडी वादी संस्कृति पे निर्भीकता से प्रहार किया उन्होंने मंत्र कहानी पर प्रकाश डालते हुवे कहा कि मंत्र कहानी से हमे सीखना चाहियें की समाज मे अमीर गरीब की जो खाइयाँ है उसे समाज से मिल कर दूर करना होगा ।वही कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुवे ममता कुमार ने मुंशी प्रेम चंद की कई कहानियों का वर्णन करते हुवे कहा कि आज समाज मे जिस तरहं से जातिवाद छेत्र वाद संप्रदयिकता का मोहाल बना है उसके लीये प्रेम चंद जी ने पहले ही लिख दिया उन्होंने कहा कि ठाकुर का कुवां आज भी समाज मे फल फूल रहा है उन्होंने ईदगाह पर भी बहुत ही शशक्त रूप से प्रकाश डाला .

उन्होंने इस मौके पर अपनी कविता “ये मजहबे रंजिसे किनारों का क्या करें “वो बिक रहा मजहब खरीदारों का क्या करे”जून कर दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया इप्टा के संजीव चांनिया ने एक गीत प्रस्तुत कर लोवो की खूब व वाही लूटी “ये दुनियाँ नहीं जागीर किसी की ,राजा हो या रंक यहाँ तो सब हैं चौकीदार ,कुछ तो आ कर चले गये कुछ जाने को तैयार ,स समाजसेवी डा सोनिया आंनद रावत ने कहा कि मौजूदा दौर में साहित्य रचना और उसके पढ़ने वालों को संख्या में निरंतर कमी आ रही है। अच्छा साहित्य भी तड़प रहा है। वर्तमान पीढ़ी में साहित्य के प्रति झुकाव कम होने से रचनाधर्मिता से जुड़े लोगों में उदासीनता का माहौल बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कृत और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काम किए जाने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में वर्तमान परिपेक्ष में मुंुशी प्रेम चंद की कहानियों की प्रासंगिता पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में प्रथम मसूरी गल्र्स इंटर कालेज की नेहा, द्वितीय सनातन धर्म गल्र्स इंटर कालेज की अमरीन व तृतीय स्थान पर शिवानी कैंतुरा सनातन धर्म को पुरूस्कार दिए गये। कार्यक्रम का संचालन पंकज अग्रवाल ने किया। इस मौके पर आर एन भार्गव इंटर कालेज के प्रधानाचार्य अनुज तायल, पत्रकार शूरवीर भंडारी, पालिका सभासद जसोदा शर्मा, सरिता पंवार, पंकज अग्रवाल, ममता कुमार , सुनीता , कविता नेगी, अवतार कुकरेजा, रूबीना अंजुम आदि मौजूद रहे।

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