दिसंबर में कोई बड़ा हादसा नहीं, जोशीमठ धंसाव पर चिन्ता बढी
देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन हर महीने उत्तराखंड में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट जारी कर रहा है । इस क्रम मे एसडीसी की दिसंबर 2022 पर तीसरी रिपोर्ट जारी हुई है ।
फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार इस रिपोर्ट में राज्य में पूरे महीने आने वाली प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं का डॉक्यूमेंटेशन किया जा रहा है । यह रिपोर्ट राज्य में प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं को एक स्थान पर संगृहीत करने का प्रयास कर रही है
उत्तराखंड उदास दिसंबर 2022
उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में दिसम्बर के महीने में कोई बड़ी आपदा या दुर्घटना नहीं हुई लेकिन जोशीमठ में लगातार हो रहे भूधंसाव पर इस रिपोर्ट में चिन्ता जताई गई है। इसके साथ ही एक सड़क दुर्घटना में क्रिकेटर ऋषभ पंत के घायल होने की घटना को भी एक चेतावनी के रूप में देखा गया है।
इस बार जोशीमठ के भूधंसाव को लेकर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर के 500 से ज्यादा घर रहने लायक नहीं रह गये हैं। लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने स्थिति से निपटने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है, जिसके कारण उन्हें 24 दिसम्बर को सड़कों पर उतरना पड़ा। इस दिन शहर के करीब 800 दुकानें विरोध स्वरूप बंद रहीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेषज्ञों के अनुसार भूधंसाव का कारण बेतरतीब निर्माण, पानी की सतह का रिसाव, ऊपरी मिट्टी का कटाव और मानव जनित कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्र्रवाह में रुकावट है। शहर भूगर्भीय रूप से संवेदनशील है, जो पूर्व-पश्चिम में चलने वाली रिज पर स्थित है। शहर के ठीक
उदास की दिसम्बर महीने की रिपोर्ट में क्रिकेटर ऋषभ पंत के कार दुर्घटना में घायल हो जाने की घटना पर भी फोकस किया गया है और इस सड़क हादसे को एक चुनौती के रूप में देखा गया है। ऋषभ पंत की कार 30 दिसंम्बर की सुबह दिल्ली देहरादून रूट पर आते हुए रुड़की के पास डिवाइडर से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। बाद में कार में आग लग गई थी। इस दुर्घटना का कारण क्रिकेटर ऋषभ पंत को पहले झपकी आना बताया गया। उन्होंने कार के आगे अचानक गड्ढा आ जाने को बाद मे दुर्घटना का कारण बताया है। उत्तराखंड में निरंतर जारी कई रोड ऐक्सिडेंट में सड़कों की दुर्दशा को जिम्मेदार माना जाता है।
उत्तराखंड आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और अपने अध्ययनों के आधार पर वैज्ञानिक यहां भूस्खलन, भूकंप आने की आशंका लगातार जताते रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में विशेष तौर पर आपदा तंत्र को मजबूत करने की सख्त जरूरत है।
अनूप नौटियाल ने कहा की उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के लिए ओडिशा मॉडल से सीख लेने की ज़रूरत है। ओडिशा मॉडल की सराहना यूनाइटेड नेशंस ने भी की हैं। आपदा जोखिम शासन को मजबूत करने, तैयारियों और परिदृश्य योजना में निवेश करने और आपदा जोखिम की अधिक समझ फैलाने पर ओडिशा मॉडल महत्वपूर्ण सबक देता है।ओडिशा मे 1999 के चक्रवात मे लगभग 10,000 लोग मारे गए और यह कभी दोहराया नहीं गया है।