Not only the elderly, cataract is also visible in children Awareness seminar in Doon Medical College Hospital
देहरादून: विश्व ग्लूकोमा (काला मोतिया) सप्ताह के तहत दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में छह दिन में 400 रोगियों (55 वर्ष से अधिक) की जांच की गई। जिसमें तीन प्रतिशत का पाजिटिविटी रेट रहा। बारह मरीजों की आंखों में काला मोतिया होना पाया गया। जिनका उपचार शुरू कर दिया गया है। चिकित्सकों का कहना हे कि आंखों की सुरक्षा के लिए लोग को सावधानी बरतनी चाहिए। कहा कि काला मोतिया अब बुजुर्ग ही नहीं, बच्चों में भी देखने को मिल रहा है।
काला मोतिया को लेकर लोग में जागरूकता लाने के लिए अस्पताल की आई ओपीडी में एक जागरुकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी शुरुआत प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने की। उन्होंने कहा कि काला मोतिया से होने वाली अंधता को रोका जा सकता है। इसके लिए 40 साल से ऊपर के सभी लोग की नियमित जांच पर जोर देने की जरूरत है।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एवं नेत्र रोग के विभागाध्यक्ष डा. यूसुफ रिजवी ने कहा कि काला मोतिया का इलाज सफल तरीके से हो सकता है। यदि समय पर चिकित्सीय सहायता ली जाए और पूरा इलाज कराया जाए। रेडिएशन आन्कोलाजी के प्रोफेसर डा. दौलत सिंह ने कहा कि जन जागरुकता से हम ग्लूकोमा के कारण होने वाली अंधता को कम कर सकते हैं।
नेत्र विज्ञान की प्रोफेसर डा. शांति पांडे ने कहा कि काला मोतिया पिछले कुछ दशकों में बुजुर्गों में ही नहीं बच्चों में भी देखने को मिल रहा है। बच्चों में यह अनुवांशिक रूप से उभर कर सामने आ रहा है। एसोसिएट प्रोफेसर डा. सुशील ओझा ने उच्च जोखिम वाले लोग और मधुमेह व उच्च रक्तचाप वाले रोगियों को ग्लूकोमा की जांच कराने की सलाह दी। कहा कि अगर इसका जल्द पता चल जाए तो इसे रोका जा सकता है। असिस्टेंट प्रोफेसर डा. नीरज सारस्वत व डा. दुष्यंत उपाध्याय ने भी अपने विचार रखे।
इस दौरान डा. कनिष्क जोशी, डा. नीतेश कुमार, डा. गौरव कुमार, डा. दिव्या उपस्थित रहे।