जोशीमठ: ज्योर्तिमठ में एक माह बाद भगवान ज्योतेश्वर महादेव के कपाट खुल गए हैं। भगवान शिव को माघ मास में घृत कंबल में ओढ़ाकर पौराणिक लंपट यंत्र से ढककर शिव के ऊपर घी का लेप लगाया गया। शिव¨लग के चारों और हरियाली लगाई। उसके बाद मंदिर के कपाट खोले गए।
ज्योतेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी महिमानंद उनियाल का कहना है कि माघ माह में भगवान शिव पाताल लोक राजा बलि को अमर कथा सुनाने जाते हैं। पूरे माघ माह भगवान शिव के कपाट बंद रहते है। एक माह पूर्व भगवान ज्योतेश्वर महादेव के शिव¨लग को घृत कम्बल से ढक दिया जाता है।
उसके चारों और हरियाली लगाई जाती है। फिर पौराणिक यत्र लंपट से ढका जाता है। माथे पर घी का लेप लगाया जाता है। कपाट खुलने पर ज्योतेश्वर महादेव की विशेष पूजा अर्चना की गई। सुबह 4बजे ब्रह्म मुहूर्त पर भगवान के कपाट खोले गए, और लंपट को हटाकर भगवान आशुतोष का रुद्राभिषेक और अभिषेक किया गया, और जोशीमठ शहर को आपदा से बचाने की प्रार्थना की गई,
इस साल शिवलिंग के चारों और हरियाली काफ़ी समृद्ध अवस्था में थीं, जो देश और क्षेत्र के लिए खुशहाली का प्रतीक है सभी लोग मंदिर से हरियाली का महा प्रसाद घर ले गए,आदिगुरु शंकराचार्य को ज्योतेश्वर महादेव ने दिव्य ज्ञान प्राप्त किया था। यहां पर 2500 साल पुराना अमर कल्प वृक्ष है। इनके नीचे आदिगुरु शंकराचार्य की गुफा है।
यहीं से भारतवर्ष के चार कोनों में शंकराचार्य ने चार पीठों की स्थापना की थी। बदरीनाथ में नारद कुंड से भगवान बदरीनाथ की मूíत निकालकर स्थापित किया था। यहां पर शंकराचार्य ने शंकर भाष्य, ब्रह्मसूत्र सहित कई पौराणिक ग्रंथों की रचना की थी, उन्होनें कहा की ज्योतेश्वर करोड़ो हिंदुओ का आस्था का केंद्र है