उत्तराखंडदेहरादूनहरिद्वार

फेफड़ों से संबंधित बीमारियों की रोकथाम पर व्याख्यान

फेफड़ों से संबंधित बीमारियों की रोकथाम पर व्याख्यान

हरिद्वार:(जीशान मलिक) भेषज विज्ञान विभाग में फेफड़ों से संबंधित बीमारियों की रोकथाम एवं उपचार के लिए नैनोटेक्नोलॉजी से बनाई जाने वाली दवाओं एवं उनके परीक्षण से संबंधित नवीन तकनीकी सिंटीग्राफी के बारे में डॉ असीम भटनागर द्वारा व्याख्यान दिया गया जिसमें डॉ भटनागर ने बताया कि नैनो पार्टिकल का आकर बीमारियों की रोकथाम एवं शरीर के विभिन्न अंगों में उनके प्रवेश को निर्धारित करता है|

नैनोपार्टिकल का आकार छोटा होने से यह बिना अपना प्रभाव दिखाए शरीर से बाहर निकल जाते हैं| सिटीग्राफी के द्वारा दवाओं एवं उनसे संबंधित फार्मास्यूटिकल उत्पादों का निर्माण एवं उनका परीक्षण किया जा सकता है| डॉ भटनागर ने सिंटीग्राफी में उपयोग होने वाले विभिन्न रेडियोएक्टिव पदार्थ के बारे में एवं परीक्षण के दौरान प्राप्त किए गए चित्रों के द्वारा छात्रों को जानकारी दी|

उन्होंने बताया कि अस्थमा, ट्यूबरक्लोसिस, सीओपीडी एवं अन्य बीमारियों में फेफड़ों से ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का शरीर के अंदर आदान-प्रदान प्रभावित हो जाता है | डॉ भटनागर ने इनमास, डीआरडीओ, नई दिल्ली में अपनी सेवा के दौरान विकसित किए गए विभिन्न फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट्स, उनके निर्माण एवं प्रशिक्षण से संबंधित अपने अनुभव छात्रों के साथ साझा किये तथा बताया कि नैनो टेक्नोलॉजी का उपयोग आज के समय में नई नई दवाओं एवं नए उत्पाद बनाने में अत्यधिक रूप से किया जा रहा है तथा इनके परिणाम बहुत ही सारगर्भित होते हैं|

व्याख्यान के दौरान बी फार्मा, एम फार्मा, डी फार्मा, पीएचडी के छात्रों के साथ-साथ विभाग के शिक्षक डॉ प्रिंस प्रशांत शर्मा, राघव दीक्षित, ओपी जोशी, तरुण कुमार, डॉ विनोद नौटियाल, डॉ कपिल गोयल इत्यादि उपस्थित रहेl डॉअश्वनी कुमार ने डॉ असीम भटनागर के अनुभव, उनके परिचय तथा नैनो टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तार से बताया|

विभागाध्यक्ष डॉ विपिन कुमार ने आमंत्रित व्याख्याता डॉ असीम भटनागर का हार्दिक आभार प्रकट किया तथा बताया कि डॉ भटनागर द्वारा संचालित एकम वैलनेस प्राइवेट लिमिटेड, गुड़गांव के साथ विश्वविद्यालय एवं विभाग में इनक्यूबेशन एक्टिविटीज भी संचालित हो रही हैं जिसमें बहुत से उत्पादन अभी मार्केट में आने हैं| इनके द्वारा विश्वविद्यालय में आर्किड लैब, प्लांट टिशु कल्चर लैब का संचालन भी हो रहा है|

इस अवसर पर संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डी एस मलिक ने सभी छात्रों को शुभकामनाएं प्रेषित की तथा इस तरह की व्याख्यान से होने वाले लाभों को सत्र के दौरान प्राप्त करने के लिए आवाहन किया|

Related Articles

Back to top button