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उत्तराखंड : मेडिकल विश्वविद्यालय ने जारी की अंतिम चयन सूची

स्वास्थ्य विभाग को शीघ्र मिलेंगे 361 सीएचओः डा. धन सिंह रावत

 

 

देहरादून : स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत विभिन्न जनपदों को शीघ्र ही 361 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) मिलने जा रहे हैं। एच0एन0बी0 मेडिकल यूनिवर्सिटी उत्तराखंड ने काउंसिलिंग के उपरांत चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी कर दी है। चयनित सीएचओ की तैनाती शीघ्र ही स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जनपदों में की जायेगी।

 

सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने के दृष्टिगत प्रदेशभर के आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) में शत-प्रतिशत सीएचओ की तैनाती करने का लक्ष्य रखा है।

जिसके तहत गत वर्ष 1683 पदों के सापेक्ष 1515 सीएचओ की तैनाती की जा चुकी है। जिनमें से कुछ अभ्यर्थियों का चयन नर्सिंग अधिकारी पद पर हो जाने से सीएचओ के 379 पद रिक्त हो गये थे। विभाग ने इन पदों को भरने की जिम्मेदारी मेडिकल विश्वविद्यालय को सौंपी थी।

 

विश्वविद्यालय ने काफी कम समय में 25 फरवरी 2024 को सीएचओ की भर्ती परीक्षा का आयोजन कर कांउसलिंग के उपरांत 361 अभ्यर्थियों की अंतिम चयन सूची जारी कर दी है। जिनको शीघ्र ही रिक्त पदों के सापेक्ष जनपदवार तैनाती दे दी जायेगी।

 

चयनित अभियर्थियों में से अल्मोड़ा जनपद में 12, बागेश्वर 28, चमोली 29, चम्पावत 10, देहरादून 20, हरिद्वार 24, नैनीताल 10, पौड़ी 60, पिथौरागढ़ 34, रूद्रप्रयाग 23, टिहरी गढ़वाल 91, ऊधमसिंह नगर 12 व उत्तराकाशी हेतु 8 अभ्यर्थियों का चयन किया गया है।

डा. रावत ने बताया कि चयनित अभ्यर्थियों की सूची शीघ्र ही संबंधित जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को सौंप दी जायेगी। जिनकी तैनाती का जिम्मा संबंधित सीएमओ का होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में सीएचओ की तैनाती से विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाया जा सकेगा।

 

यह है सीएचओ की जिम्मेदारी : सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी का मुख्य कार्य ग्रामीण इलाके में लोगों को स्वास्थ्य संबंधित सुविधाएं उपलब्ध करवाना है। इन कार्यों में मरीजों का इलाज करवाना, ओपीडी का संचालन करना एवं गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को उचित स्वास्थ्य सलाह देना शामिल है।

इसके अलावा दुर्घटना की स्थिति में वह व्यक्ति को प्राथमिक उपचार भी उपलब्ध करवाते हैं। उन्हें आशा वर्कर, एएनएम एवं ग्राम प्रधान के साथ मिलकर स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं एवं कार्यों की जानकारी भी आम लोगों तक पहुंचानी होती है।

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