कब खिलेगा रोजगार का कमल, युवाओं के उदास चेहरों पर दिखी एक उम्मीद……
बेरोजगारी की भीषण समस्या से जूझ रहे उत्तराखंड राज्य के युवाओं के उदास चेहरों पर कुछ उम्मीद दिखाई दे रही है। भर्तियों में धांधली की शिकायतों पर सरकार के ताबड़तोड़ वार से नए खुलासे हो रहे है जो इस उम्मीद की वजह माने जा रहे हैं।
पेपर लीक मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब एसटीएफ को जांच सौंपी तो किसी को भी यह अंदाजा नहीं था कि आयोग की परीक्षा में संगठित गिरोह के सुराग मिलेंगे। जांच फ्री हैंड देकर सरकार ने एसटीएफ को तेजी से घपले की परतें उधेड़ने का अवसर दिया तो नतीजा सबके सामने है। पेपर लीक मामले में अब तक 30 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
अंजाम तक नहीं पहुंची
एक दर्जन और गिरफ्तारी होने की संभावना जताई जा रही है। जांच में आरोपी दो शिक्षक और दो सचिवालय अधिकारी निलंबित हो चुके हैं। पंत नगर विवि का एक आरोपी अधिकारी भी धरा जा चुका है। जैसे-जैसे जांच का शिकंजा कसा जा रहा है नित नए तथ्य और खुलासे सामने आ रहे हैं। राज्य के लिए ये अहम घटना है।
भर्तियों में घपलेबाजी के जुड़ रहे तार से आयोग की करीब आधा दर्जन ऑनलाइन परीक्षाएं संदेह के घेरे में आ चुकी हैं और सरकार ने इन सभी परीक्षाओं के आलोक में जांच की दिशा तय करने के आलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं। साथ ही पुलिस की गिरफ्त में आए लोगों की करोड़ों की संपत्ति की जांच करने को कहा गया है। जाहिर है सरकार के सख्त रुख से परीक्षा में धांधली से करने वाले और धांधली कराने वाले दोनों में दहशत का माहौल है।
एक्शन में सरकार
राज्य के युवाओं की निगाह विधानसभा के भर्ती मामले पर भी लगी है। राज्य गठन के बाद से मौजूदा विधानसभा तक एक भी भर्ती के लिए परीक्षा नहीं हुई। राजनेताओं की सिफारिश पर चहेते विधानसभा में नौकरियां पा गए। सवाल उठे तो अपनी छवि के प्रति सतर्क मुख्यमंत्री धामी ने स्पीकर से मामले की जांच कराने का इरादा जाहिर करने में देर नहीं लगाई।
अब सबकी निगाहें स्पीकर के फैसले पर लगी हैं। पिछले दरवाजे से नौकरी पाने वालों की धड़कने तेज हैं तो रोजगार के अवसर का इंतजार कर रहे राज्य के लाखों बेरोजगारों के चेहरे पर उम्मीद की चमक है। वे आस लगाए बैठे हैं कि जांच के बाद विधानसभा में नियमानुसार भर्ती प्रक्रिया में उन्हें भी अवसर प्राप्त हो सकेगा।